लेखनी प्रतियोगिता -23-Sep-2022 प्रीत का मोज़िजा

प्रीत का मोज़िजा

दिल ने मांगी दुआ मोज़िजा हो गया,
मिल गया प्यार से वह फिदा हो गया।

जख्म जो प्यार ने जिंदगी में दिया,
दिल के उस पार मैं राव़ता हो गया।
 
प्रीत का दर्द जो हाथ आया मिरे,
वह अंजाना सफर रहनुमा हो गया।

जो मिले जिंदगी की हंसी राह में, 
देखकर मैं उन्हें अब फिदा हो गया।

खाना ठोकर अता इंतजार किया,
दिल हमारा जला हादसा हो गया।

आ गए मिलन की प्रीत की राह पर,
कर रहे इंतजार मुर्तज़ा हो गया।

प्रीति की इक पुकार 'अलका' को मिली,
दिल ने मांगी दुआ मोज़िजा हो गया।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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7 Comments

Pratikhya Priyadarshini

24-Sep-2022 10:32 PM

Bahut khoob 💐👍

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बहुत ही सुंदर

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Abhinav ji

24-Sep-2022 07:49 AM

Very nice👍

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